महामहिम घुमक्कड़ The Wanderer

Download
Download is available until [expire_date]
  • Version
  • Download 53
  • File Size 1.30 MB
  • File Count 1
  • Create Date July 16, 2024
  • Last Updated July 16, 2024

महामहिम घुमक्कड़ The Wanderer

रोदन एवं हँसी

नील सरिता के तट पर संध्याकाल में एक लकड़बग्घे की मुलाकात एक घड़ियाल से हुई एवं दोनों ने ठहर कर एक दूसरे को अभिवादन से सम्मानित किया ।
लकड़बग्घे ने संवाद का श्री गणेश किया एवं पूछा, “आजकल आपके दिन कैसे गुज़र रहे हैं, महोदय?”
घड़ियाल ने उत्तर दिया, “सब कुछ चौपट है । अपनी व्यथा एवं पीड़ा में कभी कभी रोता हूँ तो सभी प्राणी सदैव यही टिप्पणी करते हैं, ‘यह केवल घड़ियाली अश्रु हैं ।’ और यह बात मुझे अवर्णनीय सीमा तक आहत करती है ।”
तब लकड़बग्घा उससे संबोधित हुआ, “आप अपनी वेदना एवं कष्ट की बात कर रहे हैं, परंतु मेरे आख्यान पर भी विचार करें ।
“एक क्षण के लिए मैं संसार की सुंदरता, इसकी अद्भुतताओं एवं इसके चमत्कारों में दृष्टिमग्न होता हूँ, और केवल आह्लाद के भाव में वैसे ही हँसता हूँ जैसे दिन हँसता है । तो अरण्य के प्राणी कह उठते हैं, ‘यह तो लकड़बग्घे की हँसी है अन्य कुछ नहीं ।’”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *